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कात्यायनी – क्लीं श्रीं त्रिनेत्रायै नमः।।

उसके बाद जातक को पूर्व-उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठना चाहिए।

स्फटिक एक प्राकृतिक क्रिस्टल है, जो अपनी शुद्धता और चमक के लिए जाना जाता है। स्फटिक शिवलिंग भी उतना ही शुभ और पूजनीय माना जाता है, जितना पारद शिवलिंग। आइए जानें इसकी महिमा को:

पारे के शिवलिंग के पूजन की महिमा तो ऐसी है कि उसे बाणलिंग से भी उत्तम माना गया है। जीवन की समस्त समस्याओं के निदान के लिए पारद के उपयोग एवं इससे सम्बंधित उपाय अत्यंत प्रभावशाली हैं। यदि इनका आप यथाविधि अभिषेक कर, पूर्ण श्रद्धा से पूजन करेंगे तो जीवन में सुख और शान्ति अवश्य पाएंगे

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मोक्ष की प्राप्ति: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पारद शिवलिंग की नियमित पूजा मोक्ष की प्राप्ति में सहायक मानी जाती है।

इस श्लोक में बताया गया है कि करोड़ों शिवलिंगों के पूजन से जो फल प्राप्त होता है, उससे भी करोड़ गुना ज्यादा फल पारद शिवलिंग की पूजा और दर्शन से प्राप्त होता है। पारद शिवलिंग के स्पर्श मात्र से सभी पापों से मुक्ति मिल सकती है।

साथ ही अपने आसपास गंगाजल, रोली, मोली चावल, दूध और हल्दी चंदन रखना चाहिए।

श्री दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र नेमगिरी संस्थान, नेमगिरी, जिंतूर, महाराष्ट्र…

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शिवलिंग: ज्योतिषीय महत्व, स्थापना विधि एवं मंत्र

पारद और स्फटिक शिवलिंग की स्थापना किसी विद्वान पंडित के मार्गदर्शन में विधि-विधान के अनुसार ही करनी चाहिए। इन शिवलिंगों को स्थापित करने के लिए शुभ मुहूर्त का चयन भी आवश्यक माना जाता है। साथ ही, इनकी नियमित रूप से पूजा करना महत्वपूर्ण है।

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पूजा-पाठमध्ये दगडाव्यतिरिक्त वेगवेगळ्या धातूंचे शिवलिंगही ठेवले जाते. सर्व धातूंच्या शिवलिंग पूजेचे महत्त्व वेगवेगळे आहे. घरामध्ये स्थापित करण्यासाठी वेगवेगळ्या धातूंचे शिवलिंग बाजारात सहजपणे मिळतात. उज्जैनचे ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा यांच्यानुसार, कोणत्याही धातूचे छोटेसे शिवलिंग घरात ठेवावे.

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